
यूपी के प्रतापगढ़ स्थित सगरासुंदरपुर में महिला और उसके बेटे-बहू गुरुवार की सुबह घर की पहली मंजिल के कमरे में मृत पाए गए। दंपती का छह माह का बेटा मां के शव से लिपटकर रोता मिला। फिलहाल इन तीनों की मौत का कारण अभी स्पष्ट नहीं है। आशंका जताई जा रही है कि जहरीला पदार्थ खाने से तीनों की जान गई है। पुलिस द्वारा सभी का विसरा सुरक्षित किया गया है। मामले में पड़ोसी समेत चार लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है। वहीं इस मामले में एक तांत्रिक का नाम भी सामने आ रहा है।

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घटनास्थल पर मौजूद भीड़
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मृतक चलाता था जनरल स्टोर
वाराणसी-लखनऊ हाईवे के किनारे लीलापुर थाना क्षेत्र के सगरासुंदरपुर बाजार निवासी यशोदा देवी (70) ने बेटी आशा देवी (48) की शादी रायबरेली कैपरगंज निवासी रमेश कुमार पटवा के साथ की थी। पति से अलगाव के बाद आशा अपनी मां के घर पर ही रहती थीं। साथ में बेटा अंकित पटवा (26), उसकी पत्नी रिया (22) भी रहते थे, जिनका छह माह का एक पुत्र है। अंकित घर के बाहरी कमरे में जनरल स्टोर चलाता था।

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लोगों से जानकारी लेती पुलिस
– फोटो : अमर उजाला
जमीन विवाद का मामला भी आया सामने
वारदात के घटनास्थल पर पहुंची पुलिस टीम ने चार घंटे तक मकान का कोना-कोना छाना। जमीन विवाद के चलते पड़ोसी और अंकित के करीबी एक झाड़फूंक वाले पर पुलिस की नजर है। अंकित के ससुराल वालों के अनुसार पड़ोस के राजकुमार व धर्मेंद्र पटवा से जमीन को लेकर विवाद चल रहा था। जानकारी मिली है कि धर्मेंद्र पटवा व अंकित की मां आशा देवी ने मिलकर वर्ष 2011 में जगन्नाथ से बैनामा कराया था। तीनों की मौत की खबर मिलने के बाद पुलिस धर्मेंद्र को हिरासत में लेकर पूछताछ करने लगी।

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जीवित बच्चा
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तांत्रिक ने बेटे के हाथ-पैर पर बंधवाया था काला धागा
जमीन विवाद के अलावा नागापुर तिलौरी निवासी एक झाड़फूंक करने वाले व्यक्ति की भी पुलिस तलाश करती रही। सूत्रों का कहना है कि अंकित को झाड़फूंक में बहुत भरोसा था। उसके हर आयोजन में झाड़फूंक करने के लिए वह व्यक्ति पहुंच जाता था। उसकी शादी में भी वह साये की तरह मौजूद था। रात करीब आठ बजे अंकित ने उससे दस मिनट तक बातचीत भी की थी। पुलिस टीम उसकी तलाश करने लगी तो उसकी लोकेशन गैरजनपद में मिली। बताते हैं कि पांच माह के बेटे कार्तिक के दोनों हाथ, पैर व गले में काला धागा भी झाड़फूंक करने वाले ने बंधवाया था।

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घटनास्थल
– फोटो : अमर उजाला
सबसे पहले पहुंचा था दूधवाला
बुधवार की रात आशा, अंकित, रिया और उनका बेटा पहली मंजिल पर सोने चले गए। यशोदा देवी नीचे ही सो रही थीं। गुरुवार की सुबह करीब सात बजे दूध देने वाला पहुंचा। देखा तो दुकान के शटर का कुछ हिस्सा खुला था। लेकिन कोई मौजूद नहीं था। आवाज लगाई तो भीतर से कोई जवाब नहीं मिला। उसने अंकित के पड़ोसी दोस्त अशोक जायसवाल को जानकारी दी। उन्होंने फोन किया तो भी कोई जवाब नहीं आया। इसके बाद दोनों अंदर घुसे तो तीनों के शव बेड पर पड़े मिले। मासूम मां से लिपटकर रो रहा था। उन्होंने बाजार के लोगों को जानकारी दी। कुछ देर बाद सगरासुंदरपुर चौकी प्रभारी पहुंचे और घर की छानबीन की। मृतकों के मुंह व नाक से झाग निकल रहा था।