“वेस्ट राजीव नगर क्षेत्र के घोड़ा नाले में इन दिनों मगरमच्छ की मौजूदगी ने ग्रामीणों की नींद उड़ा दी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जब भी बारिश के चलते नाले का जलस्तर बढ़ता है, तो ये मगरमच्छ बहकर खेतों और घरों के नजदीक पहुंच जाते हैं। इससे गांव में भय और असुरक्षा का माहौल बन गया है।”
ग्रामीणों के अनुसार उन्होंने मगरमच्छ की सूचना वन विभाग को भी दी थी। विभाग की टीम मौके पर पहुंची जरूर, लेकिन सिर्फ निरीक्षण कर लौट गई। मगरमच्छ को पकड़ने और उसे सुरक्षित रूप से जंगल में ले जाकर छोड़ने की दिशा में अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
“ग्रामीणों की चिंता जायज है “–
गांव में छोटे बच्चे, बुजुर्ग और किसान दिनभर खेतों में काम करते हैं। ऐसे में मगरमच्छ का खेतों या घरों के आसपास पहुंचना किसी बड़े हादसे को दावत दे सकता है। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन और वन विभाग तब जागेंगे जब कोई अप्रिय घटना घट चुकी होगी। सवाल यह है कि अगर कल किसी ग्रामीण को मगरमच्छ नुकसान पहुंचा देता है तो इसकी ज़िम्मेदारी किसकी होगी?
वन विभाग की निष्क्रियता पर उठे सवाल –
घटना की सूचना मिलने के बावजूद वन विभाग की निष्क्रियता ग्रामीणों में रोष का कारण बन रही है। स्थानीय लोगों ने मांग की है कि वन विभाग तुरन्त एक्शन ले, मगरमच्छ को सुरक्षित तरीके से पकड़कर जंगल में छोड़े और भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं से निपटने के लिए ठोस योजना बनाए।
हमारी अपील –
प्रशासन और वन विभाग से अनुरोध है कि इस मामले को गंभीरता से लेते हुए उचित कार्रवाई करें, ताकि ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। ऐसी घटनाएं मानव-वन्यजीव संघर्ष की गंभीर चेतावनी हैं और इन्हें नजरअंदाज करना किसी बड़ी त्रासदी का कारण बन सकता है।
नगर क्षेत्र के घोड़ा नाले में इन दिनों मगरमच्छ की मौजूदगी ने ग्रामीणों की नींद उड़ा दी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जब भी बारिश के चलते नाले का जलस्तर बढ़ता है, तो ये मगरमच्छ बहकर खेतों और घरों के नजदीक पहुंच जाते हैं। इससे गांव में भय और असुरक्षा का माहौल बन गया है।
ग्रामीणों के अनुसार उन्होंने मगरमच्छ की सूचना वन विभाग को भी दी थी। विभाग की टीम मौके पर पहुंची जरूर, लेकिन सिर्फ निरीक्षण कर लौट गई। मगरमच्छ को पकड़ने और उसे सुरक्षित रूप से जंगल में ले जाकर छोड़ने की दिशा में अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
ग्रामीणों की चिंता जायज है –
गांव में छोटे बच्चे, बुजुर्ग और किसान दिनभर खेतों में काम करते हैं। ऐसे में मगरमच्छ का खेतों या घरों के आसपास पहुंचना किसी बड़े हादसे को दावत दे सकता है। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन और वन विभाग तब जागेंगे जब कोई अप्रिय घटना घट चुकी होगी। सवाल यह है कि अगर कल किसी ग्रामीण को मगरमच्छ नुकसान पहुंचा देता है तो इसकी ज़िम्मेदारी किसकी होगी?
वन विभाग की निष्क्रियता पर उठे सवाल –
घटना की सूचना मिलने के बावजूद वन विभाग की निष्क्रियता ग्रामीणों में रोष का कारण बन रही है। स्थानीय लोगों ने मांग की है कि वन विभाग तुरन्त एक्शन ले, मगरमच्छ को सुरक्षित तरीके से पकड़कर जंगल में छोड़े और भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं से निपटने के लिए ठोस योजना बनाए।
घोड़ा नाले में मगरमच्छ की मौजूदगी से दहशत, खेतों और घरों तक पहुंच रहा है खतरा!”
प्रशासन और वन विभाग से अनुरोध है कि इस मामले को गंभीरता से लेते हुए उचित कार्रवाई करें, ताकि ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। ऐसी घटनाएं मानव-वन्यजीव संघर्ष की गंभीर चेतावनी हैं और इन्हें नजरअंदाज करना किसी बड़ी त्रासदी का कारण बन सकता है।